Sep62024NewsletterPublications01 to 15 sep 2024 Categories: Newsletter, PublicationsBy support@swadeshishodhSeptember 6, 2024 Author: support@swadeshishodh Post navigationPreviousPrevious post:15th-31st August 2024 A Fortnightly NewsletterNextNext post:16th-31st September 2024 A Fortnightly NewsletterRelated Postsहिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीति: सागर नीति से महासागर पहल तक डॉ राकेश आर्य अल्फ्रेड महान के अनुसार, जिसके पास समुद्रों पर नियंत्रण है, वही दुनिया पर राज कर सकता है, जो आज 21वीं सदी में भारतीय महासागर क्षेत्र की भू-राजनीति के संदर्भ में अत्यंत प्रासंगिक है। वैश्विक व्यापार, ऊर्जा आपूर्ति और सैन्य रणनीति के लिहाज से भारतीय महासागर एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है, जहाँ दुनिया की बड़ी ताक़तें अपनी स्थिति मज़बूत करने की कोशिश कर रही हैं। ऐसे में भारत ने भी अपनी समुद्री नीति में बदलाव करते हुए इस क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाने की दिशा में गंभीर प्रयास किया है। SAGAR नीती से MAHASAGAR पहल की ओर- भारत की समुद्री रणनीति में बदलाव पिछले दशक में भारत की समुद्री रणनीति में उल्लेखनीय परिवर्तन देखने को मिला है। वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने SAGAR (Security and Growth for All in the Region) यानी “क्षेत्र में सबके लिए सुरक्षा और विकास” की अवधारणा प्रस्तुत की थी। इसके तहत पाँच प्रमुख स्तंभों पर ज़ोर दिया गया था: 1. सुरक्षा सहयोग, 2. व्यापार और आर्थिक एकीकरण, 3. क्षमता निर्माण और आपदा प्रबंधन, 4. सतत विकास, 5. कनेक्टिविटी और आधारभूत ढाँचा। SAGAR नीति के माध्यम से भारत ने स्वयं को एक ‘नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर’ के रूप में प्रस्तुत किया और श्रीलंका, मालदीव, मॉरीशस, सेशेल्स जैसे छोटे देशों को नौसैनिक सहायता, खुफ़िया जानकारी और बुनियादी ढाँचे में मदद दी है । अब भारत ने SAGAR से एक कदम आगे बढ़ते हुए MAHASAGAR (Mutual and Holistic Advancement for Security and Growth Across Regions) की परिकल्पना को मूर्त रूप दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में मॉरीशस यात्रा (मार्च 2025) के दौरान MAHASAGAR (महासागर) दृष्टिकोण की घोषणा की, जो समुद्री सुरक्षा से कहीं आगे जाकर आर्थिक, राजनीतिक और भू-रणनीतिक लक्ष्यों को साधने की कोशिश है। MAHASAGAR: एक व्यापक दृष्टिकोण MAHASAGAR, जो हिंदी में ‘महान सागर’ या ‘महासागर’ के रूप में जाना जाता है, भारत की समुद्री महत्वाकांक्षा को अधिक व्यापक रूप से अभिव्यक्त करता है। इस पहल के अंतर्गत कई अहम पहलुओं पर ध्यान दिया जा रहा है: 1. चीन की बढ़ती मौजूदगी पर रणनीतिक रोकथाम- चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीति ने भारतीय महासागर क्षेत्र में उसकी गहरे प्रभाव को दर्शाया है। भारत MAHASAGAR के तहत छोटे द्वीपीय देशों जैसे मॉरीशस के साथ अपने संबंधों को मज़बूत कर रहा है ताकि वे भारत की परिधि में बने रहें। 2. समुद्री सुरक्षा को मज़बूत करना- भारतीय नौसेना द्वारा बढ़ते संयुक्त अभ्यास, निगरानी और सूचना साझाकरण इस क्षेत्र को समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ने और सैन्य विस्तार जैसे खतरों से सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। 3. नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy) और आर्थिक एकीकरण (Economic Integration)- भारत समुद्र आधारित व्यापार और संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा देकर क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में कार्य कर रहा है, ताकि चीन-निर्भरता कम हो सके। 4. कूटनीतिक प्रभाव और सॉफ्ट पावर- MAHASAGAR भारत को वैश्विक दक्षिण (Global South) में “समानों में प्रथम” (First Among Equals) की स्थिति प्राप्त करने की ओर ले जा सकता है। शिक्षा, संस्कृति, तकनीकी निवेश और आधारभूत ढाँचे में सहयोग से भारत अपना कूटनीतिक प्रभाव मज़बूत कर रहा है। 5. क्षमता निर्माण और सतत विकास- मॉरीशस जैसे साझेदार देशों को भारत की जलवायु परिवर्तन, नवीकरणीय ऊर्जा और आपदा प्रबंधन संबंधी विशेषज्ञता का लाभ मिल रहा है, जिससे वे अपनी अर्थव्यवस्था को ओर अधिक सतत बना सकते हैं। भारत को होने वाले लाभ: MAHASAGAR भारत के दीर्घकालिक रणनीतिक हितों को साधने में सहायक बन सकता है: • भूराजनैतिक लाभ: यह भारत को समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करता है और चीन की रणनीति का प्रभावी मुकाबला करता है। • आर्थिक विकास: व्यापार और निवेश को बढ़ावा देकर भारत ओर क्षेत्रीय स्थिरता को सशक्त बना सकता है। • सुरक्षा और रक्षा: व्यापारिक समुद्री मार्गों की सुरक्षा तथा क्षेत्र में भारत की सैन्य उपस्थिति को मज़बूत करता है। • क्षेत्रीय नेतृत्व: भारत की भूमिका को वैश्विक दक्षिण में अग्रणी बनाता है। • तकनीकी और अवसंरचना विकास: डिजिटल और समुद्री अवसंरचना को बढ़ावा मिलता है। अतः MAHASAGAR पहल भारत की समुद्री रणनीति का अगला चरण है, जो SAGAR की उपलब्धियों पर आधारित है लेकिन इससे कहीं अधिक व्यापक और महत्वाकांक्षी है। यह सुरक्षा, व्यापार और सतत विकास के माध्यम से न केवल भारत के हितों की रक्षा करता है, बल्कि भारत को वैश्विक दक्षिण में एक सशक्त नेता के रूप में स्थापित करता है। यह रणनीति चीन की बढ़ती मौजूदगी को चुनौती देने की दिशा में एक निर्णायक कदम है और भारत को वैश्विक समुद्री परिदृश्य में एक प्रमुख भूमिका प्रदान करती है।June 20, 2025A Fortnightly Newsletter 01st to 15th June, 2025June 15, 2025A FORTNIGHTLY NEWSLETTER 16th to 31th May, 2025June 1, 2025China’s String of Pearls Policy: Implications for IndiaMay 26, 2025The Rise of Autonomous Warfare: Lethal Autonomous Weapon Systems (LAWS)May 26, 2025A FORTNIGHTLY NEWSLETTER 01st to 15th May, 2025May 14, 2025
हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीति: सागर नीति से महासागर पहल तक डॉ राकेश आर्य अल्फ्रेड महान के अनुसार, जिसके पास समुद्रों पर नियंत्रण है, वही दुनिया पर राज कर सकता है, जो आज 21वीं सदी में भारतीय महासागर क्षेत्र की भू-राजनीति के संदर्भ में अत्यंत प्रासंगिक है। वैश्विक व्यापार, ऊर्जा आपूर्ति और सैन्य रणनीति के लिहाज से भारतीय महासागर एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है, जहाँ दुनिया की बड़ी ताक़तें अपनी स्थिति मज़बूत करने की कोशिश कर रही हैं। ऐसे में भारत ने भी अपनी समुद्री नीति में बदलाव करते हुए इस क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाने की दिशा में गंभीर प्रयास किया है। SAGAR नीती से MAHASAGAR पहल की ओर- भारत की समुद्री रणनीति में बदलाव पिछले दशक में भारत की समुद्री रणनीति में उल्लेखनीय परिवर्तन देखने को मिला है। वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने SAGAR (Security and Growth for All in the Region) यानी “क्षेत्र में सबके लिए सुरक्षा और विकास” की अवधारणा प्रस्तुत की थी। इसके तहत पाँच प्रमुख स्तंभों पर ज़ोर दिया गया था: 1. सुरक्षा सहयोग, 2. व्यापार और आर्थिक एकीकरण, 3. क्षमता निर्माण और आपदा प्रबंधन, 4. सतत विकास, 5. कनेक्टिविटी और आधारभूत ढाँचा। SAGAR नीति के माध्यम से भारत ने स्वयं को एक ‘नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर’ के रूप में प्रस्तुत किया और श्रीलंका, मालदीव, मॉरीशस, सेशेल्स जैसे छोटे देशों को नौसैनिक सहायता, खुफ़िया जानकारी और बुनियादी ढाँचे में मदद दी है । अब भारत ने SAGAR से एक कदम आगे बढ़ते हुए MAHASAGAR (Mutual and Holistic Advancement for Security and Growth Across Regions) की परिकल्पना को मूर्त रूप दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में मॉरीशस यात्रा (मार्च 2025) के दौरान MAHASAGAR (महासागर) दृष्टिकोण की घोषणा की, जो समुद्री सुरक्षा से कहीं आगे जाकर आर्थिक, राजनीतिक और भू-रणनीतिक लक्ष्यों को साधने की कोशिश है। MAHASAGAR: एक व्यापक दृष्टिकोण MAHASAGAR, जो हिंदी में ‘महान सागर’ या ‘महासागर’ के रूप में जाना जाता है, भारत की समुद्री महत्वाकांक्षा को अधिक व्यापक रूप से अभिव्यक्त करता है। इस पहल के अंतर्गत कई अहम पहलुओं पर ध्यान दिया जा रहा है: 1. चीन की बढ़ती मौजूदगी पर रणनीतिक रोकथाम- चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीति ने भारतीय महासागर क्षेत्र में उसकी गहरे प्रभाव को दर्शाया है। भारत MAHASAGAR के तहत छोटे द्वीपीय देशों जैसे मॉरीशस के साथ अपने संबंधों को मज़बूत कर रहा है ताकि वे भारत की परिधि में बने रहें। 2. समुद्री सुरक्षा को मज़बूत करना- भारतीय नौसेना द्वारा बढ़ते संयुक्त अभ्यास, निगरानी और सूचना साझाकरण इस क्षेत्र को समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ने और सैन्य विस्तार जैसे खतरों से सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। 3. नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy) और आर्थिक एकीकरण (Economic Integration)- भारत समुद्र आधारित व्यापार और संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा देकर क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में कार्य कर रहा है, ताकि चीन-निर्भरता कम हो सके। 4. कूटनीतिक प्रभाव और सॉफ्ट पावर- MAHASAGAR भारत को वैश्विक दक्षिण (Global South) में “समानों में प्रथम” (First Among Equals) की स्थिति प्राप्त करने की ओर ले जा सकता है। शिक्षा, संस्कृति, तकनीकी निवेश और आधारभूत ढाँचे में सहयोग से भारत अपना कूटनीतिक प्रभाव मज़बूत कर रहा है। 5. क्षमता निर्माण और सतत विकास- मॉरीशस जैसे साझेदार देशों को भारत की जलवायु परिवर्तन, नवीकरणीय ऊर्जा और आपदा प्रबंधन संबंधी विशेषज्ञता का लाभ मिल रहा है, जिससे वे अपनी अर्थव्यवस्था को ओर अधिक सतत बना सकते हैं। भारत को होने वाले लाभ: MAHASAGAR भारत के दीर्घकालिक रणनीतिक हितों को साधने में सहायक बन सकता है: • भूराजनैतिक लाभ: यह भारत को समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करता है और चीन की रणनीति का प्रभावी मुकाबला करता है। • आर्थिक विकास: व्यापार और निवेश को बढ़ावा देकर भारत ओर क्षेत्रीय स्थिरता को सशक्त बना सकता है। • सुरक्षा और रक्षा: व्यापारिक समुद्री मार्गों की सुरक्षा तथा क्षेत्र में भारत की सैन्य उपस्थिति को मज़बूत करता है। • क्षेत्रीय नेतृत्व: भारत की भूमिका को वैश्विक दक्षिण में अग्रणी बनाता है। • तकनीकी और अवसंरचना विकास: डिजिटल और समुद्री अवसंरचना को बढ़ावा मिलता है। अतः MAHASAGAR पहल भारत की समुद्री रणनीति का अगला चरण है, जो SAGAR की उपलब्धियों पर आधारित है लेकिन इससे कहीं अधिक व्यापक और महत्वाकांक्षी है। यह सुरक्षा, व्यापार और सतत विकास के माध्यम से न केवल भारत के हितों की रक्षा करता है, बल्कि भारत को वैश्विक दक्षिण में एक सशक्त नेता के रूप में स्थापित करता है। यह रणनीति चीन की बढ़ती मौजूदगी को चुनौती देने की दिशा में एक निर्णायक कदम है और भारत को वैश्विक समुद्री परिदृश्य में एक प्रमुख भूमिका प्रदान करती है।June 20, 2025